विश्व के सभी समाजों में महिलाओं की प्रस्थिति को लेकर सिद्धान्त एवं व्यवहार में स्पष्ट अन्तर दिखायी देता है। इस्लाम के सिवाय् प्रायः सभी धर्मs] सम्प्रदाय स्त्रियों की उच्च प्रस्थिति का दावा करते हैं] किन्तु यह दावा मात्र सैद्धान्तिक है] व्यावहारिक नहीं। महिला उत्पीड़न समाज की परम्परागत जटिल समस्या है।
भारतीय समाज में स्त्रियां लम्बे समय से उत्पीड़न का शिकार रही है। वैदिक युग में स्त्रियों की स्थिति उच्च रही। इन्हें सम्पत्ति] ज्ञान और शक्ति का प्रतीक मानकर पूजा जाता था। इसी युग में अनेक विदुषी महिलाओं जैसे&अपाला] गार्गी] मैत्रेयी और विश्वम्भरा आदि का उल्लेख है जो इनकी उच्च प्रस्थिति को दर्शाता है। इस प्रकार वैदिक युग में स्त्रियों और पुरुषों के अधिकारों में समानता थी। उत्तर वैदिक युग में स्त्रियों को साम्पत्तिक अधिकारों से वंचित किया जाने लगा। धर्मशास्त्रकाल में अनेक स्मृतिकारों ने स्त्रियों पर अनेक निर्योग्ताएं अपनी कृतियों] रचनाओं के द्वारा लाद दिया। अनेकों मनगढ़न्त कथाओं और गाथाओं के माध्यम से यह प्रचार किया कि जो इनके प्रतिकूल व्यवहार करेगा उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं होगी। इस काल में स्त्रियों को दासी या वस्तु का रूप दिया गया। भारत में मध्यकाल] मुस्लिमकाल में महिलाओं पर सर्वाधिक अत्याचार हुये। सती&प्रथा] बालिका&वध] विधवा&पुनर्विवाह पर प्रतिबन्ध] शिक्षा पर प्रतिबन्ध] पर्दा&प्रथा तथा सामाजिक क्रिया&कलापों में सहभागिता पर प्रतिबन्ध आदि मध्यकाल की मुख्य विशेषताएं थी। ब्रिटिश शासन काल में भी महिला उत्पीड़न विद्यमान रहा लेकिन यह काल इस दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है कि अनेक समाज&सुधारकों जैसे& राजा राममोहन राय] ईश्वर चन्द्र विद्यासागर] रानाडे] स्वामी दयानन्द] स्वामी विवेकानन्द तथा श्रीमती एनी बेसेण्ट आदि ने स्त्रियों की स्थिति में सुधार हेतु आन्दोलन आरम्भ किये। स्वतन्त्रता के बाद भारतीय शासन द्वारा निर्मित विधानों] महिला साक्षरता&वृद्धि और आर्थिक स्वतन्त्रता के बावजूद एक बड़ी संख्या में महिलायें आज भी उत्पीड़न का शिकार हैं। महिला उत्पीड़न के प्रमुख स्वरूप निम्नांकित हैं%
१- आपराधिक हिंसा जैसे& बलात्कार] अपहरण और हत्या आदि।
2- घरेलू हिंसा जैसे& दहेज&मृत्यु] पत्नी को पीटना] लैंगिक] विधवा और वृद्ध&महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार आदि।
3- सामाजिक हिंसा जैसे& स्त्रियों को कन्या भ्रूण&हत्या के लिए] विधवाओं को सती होने के लिए बाध्य करना] उनके साथ छेड़&छाड़ करनाए साम्पत्तिक अधिकार से उन्हें वंचित रखना और दहेज&उत्पीड़न आदि।
आधुनिक काल में भारतीय स्त्रियों की स्थिति में सभी क्षेत्रों में सुधार हुआ है किन्तु यह आशानुकूल नहीं है। कानूनी रूप से स्त्रियों और पुरुषों को लगभग समान अधिकार प्राप्त हैं लेकिन नगरीय क्षेत्रों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्रियों की स्थिति आज भी निम्न है] इन पर उत्पीड़न हो रहे हैं।
भारतीय समाज में स्त्रियां लम्बे समय से उत्पीड़न का शिकार रही है। वैदिक युग में स्त्रियों की स्थिति उच्च रही। इन्हें सम्पत्ति] ज्ञान और शक्ति का प्रतीक मानकर पूजा जाता था। इसी युग में अनेक विदुषी महिलाओं जैसे&अपाला] गार्गी] मैत्रेयी और विश्वम्भरा आदि का उल्लेख है जो इनकी उच्च प्रस्थिति को दर्शाता है। इस प्रकार वैदिक युग में स्त्रियों और पुरुषों के अधिकारों में समानता थी। उत्तर वैदिक युग में स्त्रियों को साम्पत्तिक अधिकारों से वंचित किया जाने लगा। धर्मशास्त्रकाल में अनेक स्मृतिकारों ने स्त्रियों पर अनेक निर्योग्ताएं अपनी कृतियों] रचनाओं के द्वारा लाद दिया। अनेकों मनगढ़न्त कथाओं और गाथाओं के माध्यम से यह प्रचार किया कि जो इनके प्रतिकूल व्यवहार करेगा उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं होगी। इस काल में स्त्रियों को दासी या वस्तु का रूप दिया गया। भारत में मध्यकाल] मुस्लिमकाल में महिलाओं पर सर्वाधिक अत्याचार हुये। सती&प्रथा] बालिका&वध] विधवा&पुनर्विवाह पर प्रतिबन्ध] शिक्षा पर प्रतिबन्ध] पर्दा&प्रथा तथा सामाजिक क्रिया&कलापों में सहभागिता पर प्रतिबन्ध आदि मध्यकाल की मुख्य विशेषताएं थी। ब्रिटिश शासन काल में भी महिला उत्पीड़न विद्यमान रहा लेकिन यह काल इस दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है कि अनेक समाज&सुधारकों जैसे& राजा राममोहन राय] ईश्वर चन्द्र विद्यासागर] रानाडे] स्वामी दयानन्द] स्वामी विवेकानन्द तथा श्रीमती एनी बेसेण्ट आदि ने स्त्रियों की स्थिति में सुधार हेतु आन्दोलन आरम्भ किये। स्वतन्त्रता के बाद भारतीय शासन द्वारा निर्मित विधानों] महिला साक्षरता&वृद्धि और आर्थिक स्वतन्त्रता के बावजूद एक बड़ी संख्या में महिलायें आज भी उत्पीड़न का शिकार हैं। महिला उत्पीड़न के प्रमुख स्वरूप निम्नांकित हैं%
१- आपराधिक हिंसा जैसे& बलात्कार] अपहरण और हत्या आदि।
2- घरेलू हिंसा जैसे& दहेज&मृत्यु] पत्नी को पीटना] लैंगिक] विधवा और वृद्ध&महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार आदि।
3- सामाजिक हिंसा जैसे& स्त्रियों को कन्या भ्रूण&हत्या के लिए] विधवाओं को सती होने के लिए बाध्य करना] उनके साथ छेड़&छाड़ करनाए साम्पत्तिक अधिकार से उन्हें वंचित रखना और दहेज&उत्पीड़न आदि।
आधुनिक काल में भारतीय स्त्रियों की स्थिति में सभी क्षेत्रों में सुधार हुआ है किन्तु यह आशानुकूल नहीं है। कानूनी रूप से स्त्रियों और पुरुषों को लगभग समान अधिकार प्राप्त हैं लेकिन नगरीय क्षेत्रों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्रियों की स्थिति आज भी निम्न है] इन पर उत्पीड़न हो रहे हैं।
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